अरुणिमा सिन्हा कहानी | Arunima Sinha Biography Hindi

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Arunima Sinha Biography Hindi Accident Husband Story : हेल्लो दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से एक ऐसी पर्वतआरोही के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने छः सबसे ऊंची पर्वतों को पतह किया है वो विकलांग होते हुए । उनका नाम है अरूणिमा सिन्हा जो एक भारतीय पर्वतारोही और पूर्व राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी उल्लेखनीय साहस और दृढ़ संकल्प के साथ कई कठिनाइयों का सामना करते हुए एक प्रेरणादायक जीवन कहानी बनाई है। उनका जन्म 20 जुलाई 1988 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में हुआ था।

प्रारंभिक जीवन और दुर्घटना

अरूणिमा एक राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी थीं और उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में शामिल होने का सपना देखा था। लेकिन 11 अप्रैल 2011 को, एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। वह लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं जब कुछ लुटेरों ने उन्हें चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। लखनऊ की यह अरुणिमा जो पूरी रात रेलवे ट्रेक के बीच पड़ी रही। उसको बचाने कोई नहीं आया। 49 ट्रेन निकल गई थी। उस हादसे के बाद इस दुर्घटना के कारण उन्हें अपने पैर को खोना पड़ा, जिससे उनका दाहिना पैर घुटने के नीचे से काटना पड़ा।

अपराधियों द्वारा चलती ट्रेन से फेंक दिए जाने के कारण एक पैर गंवा चुकने के बावजूद अरूणिमा ने गजब के जीवट का परिचय देते जब बछेंद्री पाल से मिली और उनसे कहा की वह पर्वत पतह करना चाहतीं है तो उस समय बछेंद्री पॉल ने कहा की तूने इस अवस्ता में पर्वत पतह करने की बात कही तो यह समझ की तूने पर्वत पतह कर ली है। 21 मई 2013 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर एक नया इतिहास रचते हुए ऐसा करने वाली पहली विकलांग भारतीय महिला होने का रिकाॅर्ड अपने नाम कर लिया। ट्रेन दुर्घटना से पूर्व उन्होने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य की वॉलीबाल और फुटबॉल टीमों में प्रतिनिधित्व किया है।

पर्वतारोहण का सफर

अपनी दुर्घटना के बाद भी, अरूणिमा ने हार नहीं मानी और अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प से पर्वतारोहण में करियर बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने महान पर्वतारोही बछेंद्री पाल से प्रेरणा ली, जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

माउंट एवरेस्ट विजय

अरूणिमा सिन्हा ने अपने साहस और संकल्प से एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने 21 मई 2013 को माउंट एवरेस्ट को फतह किया, और ऐसा करने वाली विश्व की पहली महिला विकलांग पर्वतारोही बनीं। यह एक असाधारण उपलब्धि थी, जो उनके अदम्य साहस और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है।

अन्य पर्वतारोही उपलब्धियाँ

माउंट एवरेस्ट की विजय के बाद, अरूणिमा ने अपनी पर्वतारोहण की यात्रा को जारी रखा और कई अन्य ऊँचे पर्वतों को भी फतह किया, जिनमें शामिल हैं:

  • माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका)
  • माउंट एल्ब्रुस (यूरोप)
  • माउंट कोसियसको (ऑस्ट्रेलिया)
  • माउंट एकांकागुआ (दक्षिण अमेरिका)
  • माउंट कारस्टेंस पिरामिड (इंडोनेशिया)
  • माउंट विंसन (अंटार्कटिका)

सम्मान और पुरस्कार

अरूणिमा की असाधारण उपलब्धियों और उनके साहस को मान्यता देते हुए, उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • पद्म श्री: भारत सरकार द्वारा 2015 में उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया।
  • तेंजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड: 2016 में उन्हें यह सम्मान भी मिला।

अरुणा सिंह शादी और पति 

अरूणिमा सिन्हा ने 2018 में पाराशूट रेजिमेंट के मेजर योगेश कुमार से शादी की। मेजर योगेश कुमार भारतीय सेना में कार्यरत हैं और उनकी शादी एक निजी समारोह में हुई थी, जिसमें परिवार के सदस्य और करीबी दोस्त शामिल थे।

अरूणिमा की शादी उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने उनके व्यक्तिगत जीवन में खुशी और संतोष लाया। उनके पति, मेजर योगेश कुमार, ने उनके जीवन के कठिन समय में उनका समर्थन किया और उनके साहसिक कारनामों में हमेशा उनके साथ खड़े रहे हैं।

शादी के बाद भी, अरूणिमा ने अपने साहसिक अभियानों और प्रेरणादायक कार्यों को जारी रखा है, और उनकी कहानी आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

लेखन

अरूणिमा सिन्हा ने अपनी आत्मकथा "बॉर्न अगेन ऑन द माउंटेन" भी लिखी है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों, दुर्घटना, पुनर्प्राप्ति और पर्वतारोहण की यात्रा का वर्णन किया है। यह किताब उनके अदम्य साहस और अटूट दृढ़ता का प्रमाण है और लाखों लोगों को प्रेरणा देती है।

अरूणिमा सिन्हा की कहानी न केवल एक शारीरिक विकलांगता को पार करने की है, बल्कि यह एक अद्वितीय साहस, संकल्प और सकारात्मकता की कहानी है, जो हर किसी को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।

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