"थंगालान" मूवी रिव्यू ,स्टोरी, कास्ट | Thangalaan Movie Review Hindi

"थंगालान" मूवी रिव्यू: पं रंजीत और विक्रम ने इतिहास को जादुई दृष्टिकोण से पेश किया, लेकिन कहानी में कई कमियाँ भी दिखीं


"थंगालान" मूवी रिव्यू: पं रंजीत और विक्रम ने इतिहास को जादुई दृष्टिकोण से पेश किया, लेकिन कहानी में कई कमियाँ भी दिखीं


Thangalaan Movie Review Hindi : पं रंजीत की "थंगालान" एक ऐतिहासिक ड्रामा है जिसमें विक्रम ने एक ऐसे किरदार की भूमिका निभाई है जो शोषण और पहचान की खोज में जुटा है। फिल्म का केंद्र कोलार गोल्ड फील्ड्स में सोने के लिए लोगों के शोषण पर है। कहानी में जादुई यथार्थवाद और सामाजिक मुद्दों का सम्मिलन दर्शाया गया है। विक्रम के साथ पार्वती थिरुवोथु, पसुपथी, और डैनियल कैल्टागिरोन ने भी प्रभावशाली अभिनय किया है। हालांकि, फिल्म में कुछ जगह जल्दबाजी और चरित्र विकास की कमी महसूस होती है।

इतिहास का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

हम अक्सर पूछते हैं कि इतिहास का अध्ययन क्यों जरूरी है। इतिहास हमें अतीत को समझने में मदद करता है, जो वर्तमान को बेहतर ढंग से देखने और भविष्य को संवारने में सहायक हो सकता है। यह हमें पूर्वजों की गलतियों से सीखने और अपनी सांस्कृतिक विरासत को समझने का अवसर देता है।

लेकिन, इतिहास किसकी कहानी है? अक्सर यह विजेताओं की दृष्टि से लिखा जाता है, जिसमें पराजितों और उत्पीड़ितों की कहानियाँ छुप जाती हैं। एक प्रसिद्ध अफ्रीकी कहावत है, "जब तक शेर अपनी कहानी नहीं कहेगा, तब तक शिकारी हमेशा नायक रहेगा।" इसका मतलब है कि इतिहास को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखना और समझना चाहिए, न कि केवल एक पक्ष की नजर से।

पं रंजीत जैसे निर्देशक इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए उन लोगों की कहानियों को उजागर करने की कोशिश करते हैं जो इतिहास में अदृश्य और उपेक्षित रहे हैं। "थंगालान" में रंजीत ने इस बात को प्रमुखता से उठाया है कि कोलार गोल्ड फील्ड्स में लोगों का कैसे शोषण किया गया था।

थंगालान की कहानी:

फिल्म की शुरुआत विक्रम के किरदार से होती है, जो एक लंबे समय से परेशान करने वाले सपने से जागता है। यह सपना एक जादूगरनी और पहचान की खोज को दर्शाता है। विक्रम और उसका परिवार उत्तरी अर्काट के वेप्पुर गांव में एकमात्र ज़मीन-मालिक परिवार बन जाते हैं। ज़मींदार उन्हें स्वतंत्र रूप से जीने नहीं देना चाहता और उन्हें बंधुआ मज़दूर बना लेता है।

जब एक अंग्रेज़ गांववालों से सोने की खदानों की खोज में मदद मांगता है, तो विक्रम सबसे पहले स्वेच्छा से आगे आता है। खदानों के बारे में गाँववालों का मानना है कि वे भूत-प्रेतों से भरी हुई हैं। फिल्म में विक्रम के अलावा अन्य किरदारों को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका दिया गया है।

पात्रों की पहचान:

फिल्म में पसुपति ने एक ब्राह्मण का किरदार निभाया है, जो वैकुंठ (स्वर्ग) में जगह पाने के लिए खुद को ब्राह्मण बनाता है। डैनियल कैल्टागिरोन ने अंग्रेज़ क्लेमेंट का किरदार निभाया है, जिसका उद्देश्य खदानों की खोज कर इतिहास में अपना स्थान बनाना है। पार्वती थिरुवोथु ने गंगम्मा का किरदार निभाया है, जो एक मां होने के साथ-साथ एक पत्नी और महिला के रूप में सम्मान की तलाश में है।

फिल्म की ताकत और कमजोरियाँ:

"थंगालान" की सबसे बड़ी खूबी इसके गहराई वाले किरदार हैं। विक्रम ने शानदार अभिनय किया है, और अन्य कलाकारों ने भी अपने किरदार को जीवंत बनाया है। हालांकि, कुछ हिस्सों में चरित्र विकास की कमी और जल्दी-जल्दी दिखाए गए विचार फिल्म की गहराई को प्रभावित करते हैं। तकनीकी पक्ष जैसे सिंक साउंड और VFX भी कुछ कमजोरियों के साथ हैं।

उत्पीड़न और खुशी का चित्रण:

फिल्म उत्पीड़न और खुशी के विरोधाभास को दर्शाती है। फिल्म में दिखाया गया उत्पीड़न और हाशिये पर धकेले गए पात्रों की आवाज़ प्रभावशाली है। क्लेमेंट और थंगालान के बीच का विरोधाभास भी महत्वपूर्ण है, जिसमें दोनों अपने-अपने तरीके से कुछ खोते हैं। फिल्म की शुरुआत में रोमांचकारी दृश्य और जादुई यथार्थवाद का समावेश भी है।

अंतिम प्रभाव:

"थंगालान" की कहानी और निर्देशन साहसिक हैं, लेकिन कुछ तकनीकी और संक्षिप्तताओं के कारण फिल्म बोझिल महसूस हो सकती है। फिल्म का अंत प्रभावशाली है, और यह पहचान की खोज के विषय को दर्शाता है।

फिल्म की जानकारी:

कास्ट: विक्रम, पार्वती थिरुवोथु, डैनियल कैल्टागिरोन, पसुपति

निर्देशक: पा रंजीत

रेटिंग: 3/5

"थंगालान" में कमियाँ:

चरित्र विकास की कमी: फिल्म में कुछ पात्रों का विकास जल्दी-जल्दी किया गया है, जिससे उनकी कहानियों और संघर्षों में गहराई की कमी महसूस होती है। कई महत्वपूर्ण दृश्यों और विचारों को संक्षेप में दिखाया गया है, जो फिल्म की प्रभावशीलता को कम कर देता है।

तकनीकी कमजोरियाँ: फिल्म के सिंक साउंड और मिक्सिंग में खामियाँ हैं, जिससे कुछ संवाद स्पष्ट नहीं हो पाते। VFX भी अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा नहीं उतरता, जो फिल्म के दृश्य प्रभाव को कमजोर करता है।

कहानी की जटिलता: रंजीत की कहानी कहने की कोशिशें कई बार नई और चुनौतीपूर्ण होती हैं, लेकिन कुछ हिस्से एक बड़े चित्र के साथ मेल नहीं खाते। कहानी के कुछ हिस्से जटिल और बोझिल लग सकते हैं, और तकनीकी मुद्दों के कारण दर्शकों से दूरी बनाए रख सकते हैं।

भटकाव और विस्तार की कमी: फिल्म की कहानी और पात्रों को यदि और विस्तार से दिखाया जाता, तो यह और भी प्रभावशाली हो सकती थी। कुछ विचार और किरदारों को और समय और ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे फिल्म का प्रभाव और बढ़ सकता था।

विवेकपूर्ण संतुलन की कमी: फिल्म में रोमांच और जादुई यथार्थवाद के बीच संतुलन बनाए रखना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। इसके कारण कुछ दृश्यों में कहानी की निरंतरता में भटकाव महसूस होता है।

निष्कर्ष:

"थंगालान" एक विचारोत्तेजक और संवेदनशील फिल्म है जो ऐतिहासिक शोषण और पहचान की खोज को एक अनूठे दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। पा रंजीत ने कोलार गोल्ड फील्ड्स के शोषण को जादुई यथार्थवाद के माध्यम से चित्रित किया है, जिससे दर्शकों को अतीत की गहराई से अवगत कराया है। विक्रम की सशक्त अभिनय के साथ-साथ पार्वती थिरुवोथु, पसुपथी, और डैनियल कैल्टागिरोन के प्रदर्शन ने फिल्म को और भी प्रभावशाली बनाया है।

फिल्म का मुख्य उद्देश्य पहचान की खोज और उत्पीड़न के मुद्दों को उजागर करना है, जो आमतौर पर इतिहास में अनदेखे रह जाते हैं। हालांकि, कुछ तकनीकी और कथा तत्वों में कमी के कारण फिल्म में भटकाव और संक्षिप्तताओं का अनुभव हो सकता है। इसके बावजूद, "थंगालान" की गहराई और पात्रों की जटिलता इसे एक महत्वपूर्ण और यादगार अनुभव बनाती है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है कि पहचान और आत्मसमर्पण की खोज कितनी जटिल और मूल्यवान हो सकती है।

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