स्वतंत्रता सेनानी गोकुललाल असावा का जीवन परिचय | Gokul Lal Asawa
गोकुल लाल असावा का जीवन परिचय भारतीय स्वतंत्रता इतिहास में राजस्थान के क्रांतिकारियों में असावा बड़े कांग्रेस नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होने दक्षिण राजस्थान की रियासतों के एकीकरण में अहम भूमिका निभाई। राजस्थान निर्माण के बाद बाद ये कांग्रेस की वर्किंग कमेटी के सदस्य भी रहे। भारत की आजादी के संग्राम में ये करीब चार बार जेल भी गये।
Gokul lal Asawa : गोकुल लाल असावा का जन्म 2 अक्टूबर, 1901 को देवली के एक सामान्य माहेश्वरी परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम श्री हजारी लाल जी आसावा था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा कस्बे में हुई। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ये बनारस गए , जहाँ उन्होंने हिन्दू विश्वविधालय से बी.ए. और 1928 में दर्शनशास्त्र में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की।
गोकुल लाल आसावा सन् 1928-29 में एक वर्ष के लिए डी. ए. वी. हाई स्कूल में अध्यापक रहे और अगले वर्ष कोटा के हर्वर्ड कॉलेज में तर्कशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हो गए। हवर्ड कॉलेज में पहले दिन से ही आसावा की प्रिंसिपल से खटपट हो गई। प्रिसिपल यह सहन करने को तैयार नहीं था कि कोई प्राध्यापक कॉलेज में धोती पहन कर आए। प्रोफेसर आसावा ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के विज्ञान के प्रोफेसर का उदाहरण देकर बताया कि धोती हमारी राष्ट्रीय पोशाक है और उस पर आपत्ति करना उचित नहीं है। परन्तु प्रिसिपल के गले उनकी एक भी बात नहीं उतरी।
उनकी प्रेरणा और सहयोग से छात्रों ने 26 जनवरी को झंडाभिवादन किया। रावी के तट पर की गई प्रतिज्ञाओं को दोहराया और कॉलेज के जीवन में राष्ट्रीय चेतना को एक नई लहर पैदा हो गई। सभवतः यह सब तथ्य कॉलेज के अधिकारियों के ध्यान में थे। कॉलेज में नए रूप से छात्रों में विकसित होने वाली राष्ट्रीय भावना के लिए कॉलेज के प्रिंसिपल, प्रोफेसर गोकुल लाल आसावा को हो दोषी मानते थे।
कोटा कॉलेज की राजकीय सेवा से उन्हें मुक्ति लेकर सत्याग्रह अभियान में शामिल हो गए। शामिल हुए तो फिर ऐसे हुए कि देश की स्वाधीनता के अतिरिक्त किसी विचार और कर्म से उनका वास्ता ही नहीं रहा 1930 से 1947 तक के राष्ट्रीय संघर्षों की अवधि में आसावा में एक सत्यनिष्ठ, सिद्धान्तवादी और त्यागमय जीवन जीने वाले निःस्वार्थ लोकसेवक के व्यक्तित्व का उदय और विकास हुआ।
1930 के नमक सत्याग्रह में शामिल होकर गोकुललाल असावा के जेल जाने का सिलसिला शुरू हो गया। 1930-32 के सत्याग्रही जीवन में आसावा अजमेर में 4 बार जेल गए। एक बार 3 महीने के लिए, एक बार एक वर्ष के लिए, 2 बार छः छः महीनों के लिए और इस तरह से जीवन के उषाकाल में ही उन्हें 2 वर्ष 3 महीने जेल में निकाले।
गोकुल लाल असावा के बारे में अन्य जानकारी
राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी गोकुललाल असावा का जन्म 2 अक्टूबर , 1901 को टोंक जिले के देवली कस्बे में एक माहेश्वरी परिवार में हुआ।
उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा कस्बे में हुई। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ये बनारस गए , जहाँ उन्होंने हिन्दू विश्वविधालय से बी.ए. और 1928 में दर्शनशास्त्र में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की।
उच्च अध्ययन के बाद उन्होंने कोटा के हर्बर्ट कॉलेज में अध्यापन शुरू किया लेकिन जल्द ही राष्ट्रीय गतिविधियों में भाग लेने के कारण उन्हें नोकरी छोड़नी पड़ी।
कोटा छोड़कर वे अजमेर आ गए , जहा उन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लिया। सरकार विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। वहा से छूटने के बाद उनका अधिकांश जीवन अजमेर में ही व्यतीत हुआ। वे सविधान निर्माता परिषद् के सदस्य रहे।
1948 में उन्हें राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री बनाया गया। वे 1949 से 1951 तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेठी और 1951 से 1952 तक कांग्रेस की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे। बाद में उन्होंने सक्रीय राजनीती से सन्यास ले लिया। 20 नवम्बर 1981 को जयपुर में उनका निधन हो गया।
FAQ.
1. गोकुल लाल असावा का जन्म कब हुआ था ?
- जन्म 2 अक्टूबर, 1901
2. गोकुल लाल असावा को राजस्थान संघ का प्रधानमंत्री कब बनाया गया ?
- 1948 में
3. गोकुल लाल असावा के पिताजी कोन थे ?
- श्री हजारी लाल जी आसावा